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डॉo भीमराव अम्बेडकर की सामाजिक न्याय की अवधारणा में आरक्षण की भूमिका (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ मण्डल का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन) / देवेन्द्र कुमार

By: कुमार, देवेन्द्र.
Publisher: New Delhi : ICSSR, 2016Description: 155p.Subject(s): सामाजिक न्याय आरक्षण -- राजनीति विज्ञान -- मेरठ | सामाजिक न्याय -- राजनीति विज्ञान -- उत्तर प्रदेशDDC classification: RK.0334 Summary: प्रस्तुत शोध में एक अनुसूची के माध्यम से पश्चिमी उ0प्र0 के मेरठ मण्डल के चार जनपदों मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलन्दशहर से 542 उत्तरदाताओं से डॉ0 अम्बेडकर, सामाजिक न्याय एवं आरक्षण का एक सामाजिक विज्ञान अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। आरक्षण का उद्देश्य, सुविधाहीन तथा शोषित वर्ग को विशेष रियायतें देने का अधिकार है “न कि दान व परोपकार के मामले।” आरक्षण के द्वारा दुर्बल एवं शोषित व्यक्तियों को सशक्त व्यक्तियों से बचाकर कुछ पदों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए डॉ0 अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में ऐसे प्रावधान करवाये। समाज में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषमताओं को दूर किया जाना चाहिए जिसके द्वारा सक््माजिक पर आधारित समाज का निर्माण किया जा सके तथा समाज में व्याप्त असमानता को समाप्त करके समानता स्थापित की जा सके इसलिए कुछ पदों को आरक्षित करके उन्हें समाज के निम्न एवं शोषित वर्ग को प्रदान किया जाये ताकि वे अपनी उन्‍नति कर सके | परिणामस्वरूप समाज में व्याप्त असमानता को समाप्त करक॑ एक समानता स्थापित हो सके। डॉ0० अम्बेडकर के सामने संविधान निर्माण करते समय प्रमुख समस्या थी कि समाज में व्याप्त असमानता को किस प्रकार दूर किया जा सके ताकि समाज में समरसता स्थापित हो सके। इस असमानता को दूर करने के लिए संविधान में आरक्षण को माध्यम बनाया, जिसके द्वारा सामाजिक न्याय की प्राप्ति भी हो सके तथा समाज के दुर्बल, शोषित तथा पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों को समाज की मुख्य धारा में लाया जा सके। इन सभी समस्याओं का उत्तर खोजने के लिए शोध की आवश्यकता थी। मनुष्य अपनी वर्ण, जाति, नस्ल, रंग व लिंग की विभिन्‍नता के बावजूद भी समान है।
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Post Doctoral Research Fellowship Reports RK.0334 (Browse shelf) Not For Loan 52468
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RK.0331 Women in political process in India and central Asia / RK.0332 मानवाधिकार एवं महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता (उत्तर प्रदेश राज्य के गाजियाबाद जिले का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन) / RK.0333 महिलाओं में वैधानिक जागरूकता (पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चयनित जिले के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन) RK.0334 डॉo भीमराव अम्बेडकर की सामाजिक न्याय की अवधारणा में आरक्षण की भूमिका (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ मण्डल का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन) / RK.0335 आधुनिक भारत में ग्रामीण विकास एवं महिलाएं : RK.0336 गढ़वाल हिमालय में पर्यटन व्यवसाय का विकास एवं इसक पर्यावरण पर प्रभाव : RK.0337 सूक्ष्म स्तरीय नियोजन हेतु ग्रामीण संसाधनों का मूल्यांकन (पश्चिमी उ प्र के सहारनपुर मण्डलीय क्षेत्र का भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में गहन अध्ययन) /

Include bibliographical references.

प्रस्तुत शोध में एक अनुसूची के माध्यम से पश्चिमी उ0प्र0 के मेरठ मण्डल के चार जनपदों मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलन्दशहर से 542 उत्तरदाताओं से डॉ0 अम्बेडकर, सामाजिक न्याय एवं आरक्षण का एक सामाजिक विज्ञान अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। आरक्षण का उद्देश्य, सुविधाहीन तथा शोषित वर्ग को विशेष रियायतें देने का अधिकार है “न कि दान व परोपकार के मामले।” आरक्षण के द्वारा दुर्बल एवं शोषित व्यक्तियों को सशक्त व्यक्तियों से बचाकर कुछ पदों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए डॉ0 अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में ऐसे प्रावधान करवाये। समाज में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषमताओं को दूर किया जाना चाहिए जिसके द्वारा सक््माजिक पर आधारित समाज का निर्माण किया जा सके तथा समाज में व्याप्त असमानता को समाप्त करके समानता स्थापित की जा सके इसलिए कुछ पदों को आरक्षित करके उन्हें समाज के निम्न एवं शोषित वर्ग को प्रदान किया जाये ताकि वे अपनी उन्‍नति कर सके | परिणामस्वरूप समाज में व्याप्त असमानता को समाप्त करक॑ एक समानता स्थापित हो सके। डॉ0० अम्बेडकर के सामने संविधान निर्माण करते समय प्रमुख समस्या थी कि समाज में व्याप्त असमानता को किस प्रकार दूर किया जा सके ताकि समाज में समरसता स्थापित हो सके। इस असमानता को दूर करने के लिए संविधान में आरक्षण को माध्यम बनाया, जिसके द्वारा सामाजिक न्याय की प्राप्ति भी हो सके तथा समाज के दुर्बल, शोषित तथा पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों को समाज की मुख्य धारा में लाया जा सके। इन सभी समस्याओं का उत्तर खोजने के लिए शोध की आवश्यकता थी। मनुष्य अपनी वर्ण, जाति, नस्ल, रंग व लिंग की विभिन्‍नता के बावजूद भी समान है।

Indian Council of Social Science Research.

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