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मध्यभारत के पहाड़ी इलाके / कैप्टन जे. फोरसिथ

By: फोरसिथ, कैप्टन जे. Forsyth, Captain J [लेखक., author.].
Publisher: दिल्ली : राजकमल प्रकाशन, 2019Description: 296p.ISBN: 9788126715947 .Other title: Madhyabharat ke pahadi ilake.Subject(s): यात्रा | भारत -- मध्य प्रदेश | मानव जाति विज्ञान | शिकार करना | प्राकृतिक इतिहास - विज्ञान | फोर्सिथ, जे. (जेम्स), 1838-1871 | वन एवं वानिकीDDC classification: 954.3 Summary: मध्यभारत के पहाड़ी इलाके पुस्तक मध्यभारत के उन पहाड़ी और मैदानी इलाकों से हमारा साक्षात्कार कराती है जहाँ आदिवासियों की गहरी पैठ रही है । पुस्तक हमें बताती है कि आमतौर पर लोग भारत के 'पहाड़ी' और 'मैदानी इलाकों की ही बात करते हैं। पहाड़ी इलाके से उनका अभिप्राय होता है मात्र हिमालय पर्वत शृंखला तथा मैदानी इलाके यानि बाकी देश । पृथ्वी पर बड़े-बड़े पर्वतों, जिन्हें 'पहाड़' से ज्यादा कुछ नहीं कहा जाता, और तथाकथित 'मैदानी' इलाकों के बीच जो बहुत-सी जमीन पड़ी है, उसके लिए कोई निर्दिष्ट भौगोलिक नाम नहीं है । प्रायद्वीप के दक्षिण में नीलगिरि नाम की पर्वत श्रृंखला है, जिसकी ऊँचाई 9000 फीट है, लेकिन भारत से बाहर और भारत में भी इसे ऐसे इलाके के रूप में बहुत कम लोग जानते हैं, जो बीमार लोगों का आश्रय स्थल और विताप (जिसकी छाल से कुनैन बनती है) की नर्सरी है । यह पुस्तक हमें उन स्थानों का भी भ्रमण कराती है जहाँ पहुँचना मनुष्य के लिए लगभग दुष्कर है। इसमें नर्मदा घाटी, महादेव पर्वत, मूल जनजातियों, संत लिंगों का अवतरण, सागौन क्षेत्र, शेर, उच्चतर नर्मदा, साल वन, आदि का भी विस्तार से वर्णन हुआ है। प्रकृति प्रेमियों, पर्यटकों तथा शोधकर्त्ताओं के लिए एक बेहद जरूरी पुस्तक ।
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Books Books NASSDOC Library
954.3 FOR-M (Browse shelf) Available 53433

Includes bibliographical references and index.

मध्यभारत के पहाड़ी इलाके पुस्तक मध्यभारत के उन पहाड़ी और मैदानी इलाकों से हमारा साक्षात्कार कराती है जहाँ आदिवासियों की गहरी पैठ रही है । पुस्तक हमें बताती है कि आमतौर पर लोग भारत के 'पहाड़ी' और 'मैदानी इलाकों की ही बात करते हैं। पहाड़ी इलाके से उनका अभिप्राय होता है मात्र हिमालय पर्वत शृंखला तथा मैदानी इलाके यानि बाकी देश । पृथ्वी पर बड़े-बड़े पर्वतों, जिन्हें 'पहाड़' से ज्यादा कुछ नहीं कहा जाता, और तथाकथित 'मैदानी' इलाकों के बीच जो बहुत-सी जमीन पड़ी है, उसके लिए कोई निर्दिष्ट भौगोलिक नाम नहीं है । प्रायद्वीप के दक्षिण में नीलगिरि नाम की पर्वत श्रृंखला है, जिसकी ऊँचाई 9000 फीट है, लेकिन भारत से बाहर और भारत में भी इसे ऐसे इलाके के रूप में बहुत कम लोग जानते हैं, जो बीमार लोगों का आश्रय स्थल और विताप (जिसकी छाल से कुनैन बनती है) की नर्सरी है । यह पुस्तक हमें उन स्थानों का भी भ्रमण कराती है जहाँ पहुँचना मनुष्य के लिए लगभग दुष्कर है। इसमें नर्मदा घाटी, महादेव पर्वत, मूल जनजातियों, संत लिंगों का अवतरण, सागौन क्षेत्र, शेर, उच्चतर नर्मदा, साल वन, आदि का भी विस्तार से वर्णन हुआ है। प्रकृति प्रेमियों, पर्यटकों तथा शोधकर्त्ताओं के लिए एक बेहद जरूरी पुस्तक ।

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