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भारतीय समाजशास्त्र/ योगेन्द्र सिंह

Contributor(s): सिंह,योगेन्द्र [संपादक] | मंजू भट्ट [संपादक].
Publisher: जयपुर: रावत, 2023Description: 299p. Include Reference.ISBN: 9788131612941.Other title: BHARTIYAA SAMAJSHASTRA.Subject(s): संस्कृति | जाति -- वर्गDDC classification: 301.954 Summary: ‘भारतीय समाजशास्त्र’, समाजशास्त्रीय निबंधों का संग्रह है। पाठकों को इन निबंधों के माध्यम से उन सामाजिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों से परिचित कराया गया है, जिन्होंने भारतीय समाजशास्त्र के सिद्धांतों, पद्धतियों और सामाजिक प्रक्रियाओं के विकास की दिशाओं का निर्धारण किया है। सामाजिक शक्तियां और ऐतिहासिक संदर्भ, ज्ञान और सिद्धांतों के चेतन या अचेतन ढंग को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं, यह इन निबंधों को पढ़ने से पाठकों को आभास होगा। इस पुस्तक की सामग्री को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले भाग में सैद्धांतिक पक्षों से जुड़े हुए लेख हैं, जो भारतीय समाजशास्त्र के सैद्धांतिक विकास पर प्रकाश डालते हैं। दूसरे भाग में समाजशास्त्रीय विषय-वस्तु संबंधी भारतीय अध्ययनों से जुड़े हुए लेखों का संकलन किया गया है। अन्त में, वर्तमान समय में समाजशास्त्र में आए परिवर्तन एवं उनसे उत्पन्न समस्याओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया है। आशा करते हैं कि यह पुस्तक भारतीय समाजशास्त्र के शिक्षकों, विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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Books Books NASSDOC Library
हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह 301.3 BHA- (Browse shelf) Available 54152

‘भारतीय समाजशास्त्र’, समाजशास्त्रीय निबंधों का संग्रह है। पाठकों को इन निबंधों के माध्यम से उन सामाजिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों से परिचित कराया गया है, जिन्होंने भारतीय समाजशास्त्र के सिद्धांतों, पद्धतियों और सामाजिक प्रक्रियाओं के विकास की दिशाओं का निर्धारण किया है। सामाजिक शक्तियां और ऐतिहासिक संदर्भ, ज्ञान और सिद्धांतों के चेतन या अचेतन ढंग को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं, यह इन निबंधों को पढ़ने से पाठकों को आभास होगा।
इस पुस्तक की सामग्री को दो भागों में विभाजित किया गया है। पहले भाग में सैद्धांतिक पक्षों से जुड़े हुए लेख हैं, जो भारतीय समाजशास्त्र के सैद्धांतिक विकास पर प्रकाश डालते हैं। दूसरे भाग में समाजशास्त्रीय विषय-वस्तु संबंधी भारतीय अध्ययनों से जुड़े हुए लेखों का संकलन किया गया है। अन्त में, वर्तमान समय में समाजशास्त्र में आए परिवर्तन एवं उनसे उत्पन्न समस्याओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया है।
आशा करते हैं कि यह पुस्तक भारतीय समाजशास्त्र के शिक्षकों, विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

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