पाश्चात्य सामाजिक चिन्तक: एक समालोचनात्मक दृष्टिकोण/ जे.पी. सिंह.
By: सिंह, जे.पी. J.P. Singh.
Publisher: जयपुर: रावत, 2021Description: xv,538p. Include Reference.ISBN: 9788131612057.Other title: Pashchimee Saamaajik vichaarak: ek aalochanaatmak drshtikon.Subject(s): समाजशास्त्र -- सामाजिक दर्शन | सामाजिक सिद्धांत | सामाजिक आधुनिकताDDC classification: 320.5 Summary: अँगरेजी की नवीनतम उच्च स्तरीय पुस्तकों को आधार मानकर विभिन्न प्रकार वेफ समाजशास्त्राय विचारों को एकत्रित कर पाश्चात्य सामाजिक चिन्तकों के ऊपर आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। समाजविज्ञान की अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का सही उच्चारण इस पुस्तक की विशेषता है। प्रस्तुत पुस्तक में इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है कि कठिन-से-कठिन समाजवैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों को सहज एवं सरल ढंग से रखा जाए ताकि सभी स्तर के पाठक इसे अच्छी तरह समझ सके। अँगरेजी माध्यम से अध्ययन करनेवाले पाठकों की तुलना में हिन्दी माध्यम से पठन-पाठन करनेवाले पाठक ज्ञान की दृष्टि से पीछे न रहें, इस बात का ध्यान इस पुस्तक में रखा गया है।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 320.5 SIN-P (Browse shelf) | Available | 54151 |
अँगरेजी की नवीनतम उच्च स्तरीय पुस्तकों को आधार मानकर विभिन्न प्रकार वेफ समाजशास्त्राय विचारों को एकत्रित कर पाश्चात्य सामाजिक चिन्तकों के ऊपर आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। समाजविज्ञान की अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का सही उच्चारण इस पुस्तक की विशेषता है। प्रस्तुत पुस्तक में इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है कि कठिन-से-कठिन समाजवैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों को सहज एवं सरल ढंग से रखा जाए ताकि सभी स्तर के पाठक इसे अच्छी तरह समझ सके। अँगरेजी माध्यम से अध्ययन करनेवाले पाठकों की तुलना में हिन्दी माध्यम से पठन-पाठन करनेवाले पाठक ज्ञान की दृष्टि से पीछे न रहें, इस बात का ध्यान इस पुस्तक में रखा गया है।
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