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समाजशास्त्र: एक परिचय/ जे.पी.सिंह

By: सिंह, जे.पी. J.P. Singh.
Publisher: जयपुर : रावत प्रकाशन, 2020Description: x, 308p. Include Footnote.ISBN: 9788131611043.Other title: Samajshastra: Ek Parichay.Subject(s): सामाजिक समूह -- समिति और संस्था | समाजवाद और संस्कृतिDDC classification: 301 Summary: विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक स्तर के पाठयक्रमों के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इसकी रचना एक स्तरीय पाठ्य-पुस्तक के रूप में की गयी है। जो लोग समाजशास्त्र पहली बार अध्ययन कर रहे हैं, उनके लिए भी यह पुस्तक विशेष रूप से उपयोगी होगी। अँगरेजी भाषा में लिखी गयी नवीनतम उच्च स्तरीय पुस्तकों को आधार मानकर विभिन्न प्रकार के समाजशास्त्रीय विचारां को एक जगह इकट्टठा कर एक मौलिक ढंग से विश्लेषण देने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में नवीनतम तथ्यों को सिलसिलेवार ढंग से रखने का भरपूर प्रयास किया गया है। एक ही विषय पर भिन्न-भिन्न लेखकों के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होते हैं। वैसे तमाम विचारों को काफी हद तक शामिल करने का प्रयास किया गया है। सम्बद्ध समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके के विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रामाणिक उच्चारण इस पुस्तक की अपनी विशिष्टता है। आमतौर पर हिन्दी की पुस्तकों में न तो तकनीकि शब्दों का शुद्ध अनुवाद और न ही लेखकों के नामों का शुद्ध उच्चारण देखने को मिलता है। प्रस्तुत पुस्तक विश्वसनीय समाजशास्त्रीय तथ्यों एवं सूचनाओं का रोचक भण्डार है। इसमें जटिल-से-जटिल तथ्यों को सहजता एवं सुगमता से प्रस्तुत किया गया है।
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विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक स्तर के पाठयक्रमों के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इसकी रचना एक स्तरीय पाठ्य-पुस्तक के रूप में की गयी है। जो लोग समाजशास्त्र पहली बार अध्ययन कर रहे हैं, उनके लिए भी यह पुस्तक विशेष रूप से उपयोगी होगी। अँगरेजी भाषा में लिखी गयी नवीनतम उच्च स्तरीय पुस्तकों को आधार मानकर विभिन्न प्रकार के समाजशास्त्रीय विचारां को एक जगह इकट्टठा कर एक मौलिक ढंग से विश्लेषण देने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक में नवीनतम तथ्यों को सिलसिलेवार ढंग से रखने का भरपूर प्रयास किया गया है। एक ही विषय पर भिन्न-भिन्न लेखकों के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होते हैं। वैसे तमाम विचारों को काफी हद तक शामिल करने का प्रयास किया गया है। सम्बद्ध समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके के विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रामाणिक उच्चारण इस पुस्तक की अपनी विशिष्टता है। आमतौर पर हिन्दी की पुस्तकों में न तो तकनीकि शब्दों का शुद्ध अनुवाद और न ही लेखकों के नामों का शुद्ध उच्चारण देखने को मिलता है। प्रस्तुत पुस्तक विश्वसनीय समाजशास्त्रीय तथ्यों एवं सूचनाओं का रोचक भण्डार है। इसमें जटिल-से-जटिल तथ्यों को सहजता एवं सुगमता से प्रस्तुत किया गया है।

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