जातिविहीन समाज का सपना: देवेंदर, स्वरूप
By: स्वरूप,देवेंदर Devendra Swarup.
Publisher: प्रभात प्रकाशन 2023ISBN: 9789386870056.Other title: Jati Viheen Samaj Ka Sapna.Subject(s): Social unquielty -- Socialism -- world | Religious group -- other cast -- IndiaDDC classification: 305,5688 Summary: जाति विहीन समाज का सपना जाति भारत की मिट्टी में से उपजी एक अभिनव संस्था है। एक प्रकार से जाति संस्था भारत का वैशिष्ट्य है। क्या जाति अभी भी प्रासंगिक है? उन्नीसवीं शताब्दी में जब आधुनिक औद्योगिक सभ्यता के भारत में प्रवेश ने जाति संस्था के पुराने आर्थिक और सामाजिक आधारों को काफी कुछ शिथिल कर दिया था, तब वह जाति संस्था बदलने के बजाय और मजबूत कैसे हो गई? ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने अपनी जनगणना नीति में जाति को इतना अधिक महत्त्व क्यों दिया? उन्होंने हमारे समाज की सीढ़ीनुमा जाति-व्यवस्था में सवर्ण, मध्यम और दलित वर्गों जैसी कृत्रिम विभाजन रेखाएँ क्यों निर्माण कीं? उनकी इस विभाजन नीति ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया?Item type | Current location | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 305 SWA-J (Browse shelf) | Available | 54016 |
जाति विहीन समाज का सपना जाति भारत की मिट्टी में से उपजी एक अभिनव संस्था है। एक प्रकार से जाति संस्था भारत का वैशिष्ट्य है। क्या जाति अभी भी प्रासंगिक है? उन्नीसवीं शताब्दी में जब आधुनिक औद्योगिक सभ्यता के भारत में प्रवेश ने जाति संस्था के पुराने आर्थिक और सामाजिक आधारों को काफी कुछ शिथिल कर दिया था, तब वह जाति संस्था बदलने के बजाय और मजबूत कैसे हो गई? ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने अपनी जनगणना नीति में जाति को इतना अधिक महत्त्व क्यों दिया? उन्होंने हमारे समाज की सीढ़ीनुमा जाति-व्यवस्था में सवर्ण, मध्यम और दलित वर्गों जैसी कृत्रिम विभाजन रेखाएँ क्यों निर्माण कीं? उनकी इस विभाजन नीति ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया?
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