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अगनि की उड़ान/ डॉ ए. पी. जे .अब्दुल कलाम

By: कलाम, ए. पी. जे .अब्दुल [author].
Publisher: नई दिल्ली: प्रभात प्रकाशन, 2024Description: 254p. ill.ISBN: 9789351864493.Other title: Agni ki udaan.Subject(s): Aerial operations -- India -- Autobiographies -- Biography | हवाई संचालन -- भारत -- आत्मकथाएं -- जीवनीDDC classification: 923.1 Summary: यह कहानी सिर्फ मेरी विजय और दुखों की ही नहीं है बल्कि आधुनिक भारत के उन विज्ञान प्रतिष्ठानों की सफलताओं की भी कहानी है, जो तकनीकी मोरचे पर अपने को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं l यह राष्ट्रीय आकांक्षा तथा सामूहिक प्रयासों और, जैसा की मैं देखता हूँ, वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता एवं प्रौद्योगिकी दक्षता हासिल करने के लिए भारत के प्रयासों की भी कहानी है l ईश्वर की सृष्टि में प्रत्येक कण का अपना अस्तित्व होता है l प्रत्येक को कुछ न कुछ करने के लिए ही परवरदिगार ने बनाया है l उन्ही में मैं भी हूँ l उसकी मदद से मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वह उसकी इच्छा की अभिव्यक्ति ही तो है l कुछ विलक्षण गुरुओं और साथियों के माध्यम से ईश्वर ने मुझ पर यह कृपा की और जब मैं इन सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों के प्रति अपनी शृद्धा एवं सम्मान व्यक्त करता हूँ तो मैं उसकी महिमा का ही गुणगान कर रहा होता हूँ l ये सब राकेट और मिजाईलेउसी के काम हैं जो 'कलाम' नाम के एक छोटे से व्यक्ति के माध्यम से खुदा ने कराएं हैं l इसलिए भारत के कई कोटि जनो को कभी भी छोटा या असहाय महसूस नहीं करना चाहिए l हम सब अपने भीतर दैवीय शक्ति को लेकर जन्मे हैं l हम सबके भीतर ईश्वर का तेज़ छिपा है l हमारी कोशिश इस तेज़ पुंज को पंख देने की रहनी चाहिए, जिससे यह चारों और अच्छाइयां एवं प्रकाश फैला सके l
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हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह 923.1 KAL-A (Browse shelf) Available 53997

यह कहानी सिर्फ मेरी विजय और दुखों की ही नहीं है बल्कि आधुनिक भारत के उन विज्ञान प्रतिष्ठानों की सफलताओं की भी कहानी है, जो तकनीकी मोरचे पर अपने को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं l यह राष्ट्रीय आकांक्षा तथा सामूहिक प्रयासों और, जैसा की मैं देखता हूँ, वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता एवं प्रौद्योगिकी दक्षता हासिल करने के लिए भारत के प्रयासों की भी कहानी है l

ईश्वर की सृष्टि में प्रत्येक कण का अपना अस्तित्व होता है l प्रत्येक को कुछ न कुछ करने के लिए ही परवरदिगार ने बनाया है l उन्ही में मैं भी हूँ l उसकी मदद से मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वह उसकी इच्छा की अभिव्यक्ति ही तो है l कुछ विलक्षण गुरुओं और साथियों के माध्यम से ईश्वर ने मुझ पर यह कृपा की और जब मैं इन सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों के प्रति अपनी शृद्धा एवं सम्मान व्यक्त करता हूँ तो मैं उसकी महिमा का ही गुणगान कर रहा होता हूँ l ये सब राकेट और मिजाईलेउसी के काम हैं जो 'कलाम' नाम के एक छोटे से व्यक्ति के माध्यम से खुदा ने कराएं हैं l इसलिए भारत के कई कोटि जनो को कभी भी छोटा या असहाय महसूस नहीं करना चाहिए l हम सब अपने भीतर दैवीय शक्ति को लेकर जन्मे हैं l हम सबके भीतर ईश्वर का तेज़ छिपा है l हमारी कोशिश इस तेज़ पुंज को पंख देने की रहनी चाहिए, जिससे यह चारों और अच्छाइयां एवं प्रकाश फैला सके l

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