एकात्म भारत के प्रणेता डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी: आचार्य मायाराम पतंग
By: पतंग, आचार्य मायाराम.
Publisher: नई दिल्ली: प्रभात पेपरबुक्स, 2022Description: 192p.ISBN: 9789355211637.Subject(s): Founder of Ekatm Bharat -- India -- Biography | एकात्म भरत के प्रणेता -- भारत | -- India Education -- Youth--EducationDDC classification: 923.254 Summary: डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, परंतु यह सत्य उजागर नहीं हो सका कि उनका बलिदान हुआ या किया गया? अर्थात्] उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या षड्यंत्र के तहत की गई? कोई नहीं जानता कि सच क्या है? परंतु यह तो सत्य है कि उनका बलिदान न होता तो कश्मीर अब तक भारत से अलग हो चुका होता।नेहरूजी ने शेख अब्दुल्ला की सभी शर्तें मान ली थीं। यह उनकी कायरता थी या अदूरदर्शिता, कुछ नहीं कहा जा सकता। शायद विश्व का लोकप्रिय शांतिदूत बनने का स्वप्न ही इस नीति का कारण रहा हो ! एकात्म भारत के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी की प्रामाणिक जीवन-कथा।Item type | Current location | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 923.254 PAT-S (Browse shelf) | Available | 54006 |
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923.254 KAL-A आसमान से ऊँची उड़ान: | 923.254 KUM-A अमर क्रांतिदूत चापेकर बँधु | 923.254 MAH-V वीर सावरकर/ | 923.254 PAT-S एकात्म भारत के प्रणेता डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी: | 923.254 RAI-H हमारे बालासाहब देवरसजी/ | 923.254 SAV-M मेरा आजीवन कारावास: | 923.33092 DEE- दीनदयाल उपाध्याय एवं भारतीय अर्थव्यवस्था |
डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, परंतु यह सत्य उजागर नहीं हो सका कि उनका बलिदान हुआ या किया गया? अर्थात्] उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या षड्यंत्र के तहत की गई? कोई नहीं जानता कि सच क्या है? परंतु यह तो सत्य है कि उनका बलिदान न होता तो कश्मीर अब तक भारत से अलग हो चुका होता।नेहरूजी ने शेख अब्दुल्ला की सभी शर्तें मान ली थीं। यह उनकी कायरता थी या अदूरदर्शिता, कुछ नहीं कहा जा सकता। शायद विश्व का लोकप्रिय शांतिदूत बनने का स्वप्न ही इस नीति का कारण रहा हो ! एकात्म भारत के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी की प्रामाणिक जीवन-कथा।
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