भारत के रत्न / नीरज चंद्राकार 'अरुमित्रा '
By: अरुमित्रा, नीरज चंद्राकर Chandrakar, Neeraj "Arumitra." [लेखक., author.].
Publisher: नई दिल्ली : भारतीय ज्ञानपीठ, 2020Description: 71p.ISBN: 9789387919884.Other title: Bharat ke Ratan.Subject(s): उपन्यास | हिन्दी कथा | सैनिकों | सैनिक कथाDDC classification: 891.43372 Summary: कैरियर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ अपवाद न हों, लेकिन समाज की सोच को रेखांकित करने के लिए फ़िल्मी दुनिया, क्रिकेट, राजनीति चकाचौंध के ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका आकर्षण सर्वाधिक है, जो आज समाज में सर्वाधिक सम्मानित हैं, इसलिए यह हमारी आशाओं-आकांक्षाओं को उभार कर दिखा पाती है। इसके विपरीत फ़ौजी सैनिक, कहीं अधिक विपरीत परिस्थितियों से जूझता, अपना अनिश्चय भरा भविष्य गढ़ने का प्रयास करता रहता है। अनिश्चय सिर्फ सफलता-असफलता का नहीं, बल्कि जीवन-मृत्यु का। समाज के सच का, ओझल सा, किन्तु दूसरा सकारात्मक पहलू भी है। निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, देशप्रेम जैसी भावना, जो पुरस्कार- प्रसिद्धि के महत्त्व को स्वीकारते हुए भी उसे प्राथमिक नहीं मानती। ऐसे युवा भी कम नहीं जो त्याग, समर्पण, सेवा को सर्वस्व मानते हुए अपने क्षणिक सुखों को ही नहीं, जीवन भी न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं। समाज और 'बाजार' के लिए सफलता की चकाचौंध का बोलबाला चहुँ ओर दिखाई देता है, मगर हमारा समाज सकारात्मक सोच और कर्म से ही टिका हुआ है, जिसका प्रतीक हमारे फ़ौजी सैनिक, कर्मयोद्धा है, जिनके साथ भविष्य की पवित्र और उज्वल आशा- संभावना भी है।Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | 891.43372 CHA-B (Browse shelf) | Available | 53462 |
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891.4337 YAD-U उखड़े हुए लोग / | 891.43371 PAN-P पटरंगपुर पुराण / | 891.43371 REN-P प्राणों में घुले हुए रंग / | 891.43372 CHA-B भारत के रत्न / | 891.4371 यहाँ से वहाँ / | 891.43809 STR- स्त्री चिन्तन : | 891.438409 DAL-H हिंदू परम्पराओं का राष्ट्रीयकरण : |
Includes bibliographical references and index.
कैरियर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ अपवाद न हों, लेकिन समाज की सोच को रेखांकित करने के लिए फ़िल्मी दुनिया, क्रिकेट, राजनीति चकाचौंध के ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका आकर्षण सर्वाधिक है, जो आज समाज में सर्वाधिक सम्मानित हैं, इसलिए यह हमारी आशाओं-आकांक्षाओं को उभार कर दिखा पाती है। इसके विपरीत फ़ौजी सैनिक, कहीं अधिक विपरीत परिस्थितियों से जूझता, अपना अनिश्चय भरा भविष्य गढ़ने का प्रयास करता रहता है। अनिश्चय सिर्फ सफलता-असफलता का नहीं, बल्कि जीवन-मृत्यु का। समाज के सच का, ओझल सा, किन्तु दूसरा सकारात्मक पहलू भी है। निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, देशप्रेम जैसी भावना, जो पुरस्कार- प्रसिद्धि के महत्त्व को स्वीकारते हुए भी उसे प्राथमिक नहीं मानती। ऐसे युवा भी कम नहीं जो त्याग, समर्पण, सेवा को सर्वस्व मानते हुए अपने क्षणिक सुखों को ही नहीं, जीवन भी न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं। समाज और 'बाजार' के लिए सफलता की चकाचौंध का बोलबाला चहुँ ओर दिखाई देता है, मगर हमारा समाज सकारात्मक सोच और कर्म से ही टिका हुआ है, जिसका प्रतीक हमारे फ़ौजी सैनिक, कर्मयोद्धा है, जिनके साथ भविष्य की पवित्र और उज्वल आशा- संभावना भी है।
Hindi.
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