भारत वैभव
By: पाण्डेय, ओम प्रकाश [Pandey, Om Prakash].
Publisher: New Delhi National Book Trust 2020Edition: 1st.Description: 455p.ISBN: 9788123793771.Other title: Bharat Vaibhav.Subject(s): History -- Cultural & Custom -- Religion -- Hindu -- IndiaDDC classification: 954.0863 Summary: इस पुस्तक मैं वेद तथा ब्राह्मण, आरण्यक व उरपानिषद सहित येदाड़ एवं उपयेद में वर्णित आर्ष ज्ञान परंपरा, पुराणों की महत्ता, दर्शन व उसके विविध स्वरूप, भारत राष्ट्र की सनातनता के वास्तविक स्वरूप, भारतीय संस्कृति/सभ्यता>संस्कार व लोक व्यवस्थाएँ, भाषाओं व लिपियों का विकास, आंडू व. गणित विद्या, कालगणना की भारतीय अवधारणाएँ, प्राचीन शिक्षा पद्धति की उत्कृष्टता, कला (नृत्य, संगीत, वाद्य व स्थापत्य) तथा साहित्यिक वाइमय की विपुलता, वैज्ञानिक अन्वेषणों की विलक्षण उपलब्धियाँ, पारिस्थितिकी के अनुरूप तकनीकी दक्षता, आयुर्वेद चिकित्सा व भक्ष्याभक्ष्य विचार, योग साधना, पर्यावरण के प्रति भारतीय दृष्टि, कृषि व उद्योग का उत्कर्ष, अर्थ-चिन्तन की शुचिताएँ, राजनीति व दण्ड विधान की मौलिकता के साथ परिक्षिष्ट में भारतीय क्रषि परम्परा, महाभारत काल पश्चात् हुए राजवंशों तथा प्रमुख भारतीय पर्व व त्योहारों की सूचियों के अतिरिक्त वैश्विक विद्वानों द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा की प्रशस्ति में व्यक्त किए गए उदगारो को समावेशित किया गया है!Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | 954.0863 PAN-B (Browse shelf) | Available | 52277 |
इस पुस्तक मैं वेद तथा ब्राह्मण, आरण्यक व उरपानिषद सहित येदाड़ एवं उपयेद में वर्णित आर्ष ज्ञान परंपरा, पुराणों की महत्ता, दर्शन व उसके विविध स्वरूप, भारत राष्ट्र की सनातनता के वास्तविक स्वरूप, भारतीय संस्कृति/सभ्यता>संस्कार व लोक व्यवस्थाएँ, भाषाओं व लिपियों का विकास, आंडू व. गणित विद्या, कालगणना की भारतीय अवधारणाएँ, प्राचीन शिक्षा पद्धति की उत्कृष्टता, कला (नृत्य, संगीत, वाद्य व स्थापत्य) तथा साहित्यिक वाइमय की विपुलता, वैज्ञानिक अन्वेषणों की विलक्षण उपलब्धियाँ, पारिस्थितिकी के अनुरूप तकनीकी दक्षता, आयुर्वेद चिकित्सा व भक्ष्याभक्ष्य विचार, योग साधना, पर्यावरण के प्रति भारतीय दृष्टि, कृषि व उद्योग का उत्कर्ष, अर्थ-चिन्तन की शुचिताएँ, राजनीति व दण्ड विधान की मौलिकता के साथ परिक्षिष्ट में भारतीय क्रषि परम्परा, महाभारत काल पश्चात् हुए राजवंशों तथा प्रमुख भारतीय पर्व व त्योहारों की सूचियों के अतिरिक्त वैश्विक विद्वानों द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा की प्रशस्ति में व्यक्त किए गए उदगारो को समावेशित किया गया है!
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