दलित सशक्तिकरण : सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण
Contributor(s): थोरात, सुखदेव [Thorat Sukhdev] | सभरवाल, साधना निधि [Sabharwal Sadana Nidhi ].
Publisher: Sage bhasha 2019Description: xxiii, 296p.ISBN: 9789353285579.Other title: Dalit sashaktikaran: samajik aur aarthik drishtikon | Eng title - Bridging the social gap: perspectives on dalit empowerment.Subject(s): Caste -- Discrimination -- Dalits--Social conditions -- Dalits--Economic conditions -- IndiaDDC classification: 305.5688 Summary: दलित सशक्तिकरण चार परस्पर संबंधित मुद्दों को संबोधित करती है। यह भारतीय समाज में बहिष्कृत और स्वदेशी समूहों के बहिष्करण संबंधी पृथक्करण की अवधारणा का निर्माण करती है। प्रस्तुत पुस्तक सामाजिक बहिष्करण की संकल्पना और अर्थ को सामान्य रूप में तथा जाति, अस्पृश्यता और नस्ल-आधारित बहिष्कार की अवधारणा और अर्थ को विशेष सन्दर्भ में विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करती है। यह दलितों और आदिवासियों के वंचित समूहों की स्थिति के प्रस्तुतिकरण के साथ ही मानव विकास के उपार्जन के क्रम में अंतर-सामाजिक समूह की असमानताओं को भी निरूपित करती है। तत्पश्चात इस पुस्तक में संसाधनों, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं तक न्यून पहुंच के संदर्भ में इन वंचित समूहों की उच्च अभावग्रस्तता से संबंधित कारकों का विश्लेषण किया गया है। अंततः, यह पुस्तक आर्थिक, नागरिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भेदभाव की भूमिका पर समूह की इन असमानताओं की जड़ता पर प्रकाश डालती है।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Notes | Date due | Barcode |
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Books | NASSDOC Library | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 305.5688 DAL- (Browse shelf) | Available | हिंदी पुस्तकों पर विशेष संग्रह | 50984 |
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305.5680954 NAV-B Bharatiya dalit aandolan ka etihas | 305.5680954 RAM-; Harijan yuvakom ka rajaneetik samajeekaran | 305.5688 ALA-; Nayi raah ki khoj mein samkaleen dalit chintak | 305.5688 DAL- दलित सशक्तिकरण | 305.56880954 BHA-S Samaj, rajniti aur jantantra: dalit-patrakarita:chayanit lekh | 305.5954 SIN-A आधुनिक भारत का समाज | 305.6971 BEG-M Muslim samaj mei chuachut : hela beradari ke sandarbh mei |
ग्रंथसूची संगलहित
दलित सशक्तिकरण चार परस्पर संबंधित मुद्दों को संबोधित करती है। यह भारतीय समाज में बहिष्कृत और स्वदेशी समूहों के बहिष्करण संबंधी पृथक्करण की अवधारणा का निर्माण करती है। प्रस्तुत पुस्तक सामाजिक बहिष्करण की संकल्पना और अर्थ को सामान्य रूप में तथा जाति, अस्पृश्यता और नस्ल-आधारित बहिष्कार की अवधारणा और अर्थ को विशेष सन्दर्भ में विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करती है। यह दलितों और आदिवासियों के वंचित समूहों की स्थिति के प्रस्तुतिकरण के साथ ही मानव विकास के उपार्जन के क्रम में अंतर-सामाजिक समूह की असमानताओं को भी निरूपित करती है। तत्पश्चात इस पुस्तक में संसाधनों, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं तक न्यून पहुंच के संदर्भ में इन वंचित समूहों की उच्च अभावग्रस्तता से संबंधित कारकों का विश्लेषण किया गया है। अंततः, यह पुस्तक आर्थिक, नागरिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भेदभाव की भूमिका पर समूह की इन असमानताओं की जड़ता पर प्रकाश डालती है।
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