सत्य अहिंसा के प्रयोग : दलाई लामा का तिब्बत से निष्कासन
By: व्यास,भास्कर [Vyas, Bhaskar] | व्यास,रजनी Vyas, Rajni.
Contributor(s): भटट, मीरा (अनुवादक) | Bhat, Meera (Tr.).
Publisher: New delhi Concept Publishing 2008Description: xiv, 230p.ISBN: 9788180694622.Other title: Satye Ahinsa ke Prayog : Dalai lama ka Tibet se Niskashan.Subject(s): Exile -- Dalai Lama XIV 1935 -- India | Dalai Lama -- Bstan-'dzin-rgya-mtsho | Tibet -- History -- ChinaDDC classification: 951.05 Summary: प्रस्तुत पुस्तक में तिब्बत के लोगो की मुलभुत स्वायत्ता के लिए दलाई लामा द्वारा अपनाये गए मध्यमार्गी अभिगम की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है ! ऐतिहासिक परिपेक्ष्ये में मूल्याधरित आचरण का विवरण पेश करने के साथ साथ इसमें दलाई लामा पर ऊपर से लादे गए नियंत्रणो का खुलासा भी किया गया है दृश्य अदृश्य दोनों प्रकार के संभावितों का मूल्यांकन किया गया है तथा तिब्बत के भविष्ये पे नज़र डाली गयी है! दलाई लामा द्वारा नॉबल शांति पुरस्कार प्राप्ति और उनके राजकीय अभिगम के विषय में समीक्षात्मक विवेचना की गयी है! पुस्तक में महात्मा गाँधी और दलाई लामा द्वारा अपने-अपने स्वतंत्रता संग्राम में हुई हिमालयी भूल का तुलनात्मक अध्यन भी किया गया है!Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Special Collection- M.K. Gandhi, Guru Nanak Dev ji | NASSDOC Library | Mahatma Gandhi | 951.05 VYA-S (Browse shelf) | Available | 50835 |
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923.2954 RUD-P Postmodern Gandhi and other essays | 923.5 MAH-M Mahatma Gandhi | 923.54 GAN- Gandhi's Moral Politics | 951.05 VYA-S सत्य अहिंसा के प्रयोग | 954.035 CHA-G Gandhian humanism | 954.035 GAN- Gandhi in modern world | 954.035 MAZ-M Politico-economic ideas of Mahatma Gandhi |
Translated from English; On the exile of Bstan-'dzin-rgya-mtsho, b. 1935, XIV Dalai Lama, from Tibet
Includes Index
प्रस्तुत पुस्तक में तिब्बत के लोगो की मुलभुत स्वायत्ता के लिए दलाई लामा द्वारा अपनाये गए मध्यमार्गी अभिगम की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है ! ऐतिहासिक परिपेक्ष्ये में मूल्याधरित आचरण का विवरण पेश करने के साथ साथ इसमें दलाई लामा पर ऊपर से लादे गए नियंत्रणो का खुलासा भी किया गया है दृश्य अदृश्य दोनों प्रकार के संभावितों का मूल्यांकन किया गया है तथा तिब्बत के भविष्ये पे नज़र डाली गयी है! दलाई लामा द्वारा नॉबल शांति पुरस्कार प्राप्ति और उनके राजकीय अभिगम के विषय में समीक्षात्मक विवेचना की गयी है! पुस्तक में महात्मा गाँधी और दलाई लामा द्वारा अपने-अपने स्वतंत्रता संग्राम में हुई हिमालयी भूल का तुलनात्मक अध्यन भी किया गया है!
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