राजगोंडो की वंशगाथा / (Record no. 38390)

000 -LEADER
fixed length control field 05172nam a2200217 4500
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788126721627
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title hin
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 954.3004914
Item number TIW-R
100 1# - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name तिवारी, शिवकुमार [Tiwari, Shivkumar]
Relator term लेखक [author]
245 10 - TITLE STATEMENT
Title राजगोंडो की वंशगाथा /
Statement of responsibility, etc शिवकुमार तिवारी
246 ## - VARYING FORM OF TITLE
Title proper/short title Rajgondo ki Vanshgatha
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication दिल्ली :
Name of publisher राजकमल प्रकाशन,
Year of publication 2012.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 480p.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc Includes bibliographical references and index.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc गोंड राजवंश का उदय कलचुरियों या हैहयवंशी राजवंश के अस्त होने पर हुआ। गोंड राजवंश के प्रारम्भिक राजा स्वतंत्र राजा थे। इनका राजकाल के ऐतिहासिक साक्ष्य तब से मिलने प्रारंभ होते हैं जब भारत में लोदीवंश का शासन था। इन प्रारम्भिक स्वतंत्र गोंड राजाओं का जीवन चरित लेखक ने राजकमल प्रकाशन द्वारा वर्ष 2008 में प्रकाशित ग्रन्थ 'चरितानि राजगोंडानाम' में लिपिबद्ध किया था। करद राजाओं का जीवन चरित 'राजगोंडों की वंशगाथा' ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत है । इस वृत्तान्त में गढ़ा कटंगा राज्य की उन सभी पीढ़ियों के राजाओं की जिजीविषा की कहानियाँ हैं, जिन्होंने मुगलकाल के पश्चात मराठा काल तक राज्य किया। ये गाथाएँ मानवीय विश्वास, संवेदना और कर्मठता के अतिरिक्त चार से अधिक शताब्दियों की कालावधि में हुए मानवीय विकास की कथाएं हैं। ये जनजातीय राजे अपने विकासक्रम में निरक्षर, अपढ़ या गंवार नहीं रहे, न ही ये सर्वथा ऐकान्तिक रहे वरन् इनमें से अनेक साहित्यानुरागी, कलाप्रेमी और समकालीन राजनीति के खिलाड़ी भी रहे। ऐसे राजाओं में हृदयशाह का नाम उल्लेखनीय है। ग्रन्थ के पूर्वार्द्ध में राजगोंड कुलभूषण हृदयशाह की दो आगे की और दो पीछे की पीढ़ियों का वर्णन है। इन सभी पीढ़ियों में उनका व्यक्तित्व बेजोड है। यह पुस्तक निश्चित ही न तो इतिहास विषय का ग्रन्थ है और न ही सामाजिक शोध प्रबन्ध, अतः इसकी अकादमिक उपयोगिता को बढ़ाने से सम्बन्धित किसी प्रयास की चर्चा बेमानी है। प्रयास यह रहा है कि कहानियों में ऐतिहासिकता अक्षुण्ण रहे, कल्पना प्रसूत पात्र एवं घटनाएँ यथासम्भव कम से कम हों। प्रत्येक ऐतिहासिक घटना को अलग-अलग इतिहासकार अपने नजरिये से देखते हैं, परन्तु कहानी में घटना को किसी एक ही नजरिये से देखा जा सकता है। यह उसकी सीमा है और आवश्यकता भी। सामान्य तौर पर कथाओं में वे घटनाएँ चुनी गई हैं जिनसे सर्गों की सूत्रबद्धता कायम रहे परन्तु साथ ही वे सम्बन्धित राजाओं के जीवन की मुख्य घटनाएँ हों।
546 ## - LANGUAGE NOTE
Language note Hindi.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term राज गोंड (इंडिक लोग).
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term भारत
Geographic subdivision गोंडवाना.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term राजा और शासक.
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Permanent Location Current Location Date acquired Source of acquisition Cost, normal purchase price Full call number Accession Number Cost, replacement price Price effective from Koha item type
        NASSDOC Library NASSDOC Library 2023-03-17 Overseas 0.00 954.3004914 TIW-R 53434 0.00 2023-06-07 Books