समय और संस्कृति / (Record no. 37654)

000 -LEADER
fixed length control field 04604nam a2200277 4500
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9788170554646
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title hin-
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.43
Item number DUB-S
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name दुबे, श्यामाचरण
Fuller form of name Dubey, Shyamacharan
Relator term लेखक
-- author.
245 ## - TITLE STATEMENT
Title समय और संस्कृति /
Statement of responsibility, etc श्यामाचरण दुबे
246 ## - VARYING FORM OF TITLE
Title proper/short title Samay aur Sanskriti
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication नई दिल्ली :
Name of publisher वाणी प्रकाशन,
Year of publication 2017.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 188p.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc Includes bibliographical references and index.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc परंपरा की अनिवार्य महता और उसके राजनीतिकरण से होनेवाले विनाश की पहचान कर ही हम वास्तविक भारतीयता को जान सकते हैं। इसके लिए समस्त समाजिक औोध से युक्त इतिहास-दृष्टि की जरूरत है- क्योंकि अतद्वंद और विरोधाभास हिंदू अस्मिता के सबसे बड़े शत्रु हैं। दूसरी तरफ समाज के चारित्रिक हास के कारक रूप में संक्रमणशील समाज के सम्मुख परिवर्तन की उद्म आधुनिकता धर्म के दुरुपयोग के घातक खतरे मौजूद हैं। पश्चिम के दायित्वहीन भोगवादी मनुष्य की नकल करने वाले समाज में संचार के माध्यमों की भूमिका सांस्कृतिक विकास में सहायक न रहकर नकारात्मक हो गई है। ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग की समकालीन भूमिका और भी जरूरी मुश्किल हो गई है। परंपरा सामाजिक ऊजा का एक सशक्त स्रोत है। यह कहते हुए प्रो. श्यामाचरण दुबे यह गंभीर चेतावानी देते हैं कि वैश्वीकरण के नाम पर एक भोगवादी संस्कृति में लोक संस्कृति और लोककला का भी अहम् हिस्सा है। उसके वर्तमान और भविष्य की चिंता के साथ-साथ संस्कृति और सत्ता के संबंध जिस वैज्ञानिक दृष्टि से समय और संस्कृति में करने. की कोशिश की गई है उससे समकालीन सामाजिक सांस्कृतिक समस्याओं का संतुलित मूल्यांकन संभव हुआ है। श्यामाचरण दुबे का समाज-चिंतन इस अर्थ मैं विशिष्ट है कि यह कोरे सिद्धांतों की पड़ताल और जड़ हो चुके अकादमिक निष्कपों के पिष्ट-प्रेषण में व्यय नहीं होता। इसीलिए उनका चिंतन उन तव्या को पहचानने की समझ देता है जिन्हें जीवन जीने के क्रम में महसूस किया जाता है लेकिन उन्हें शब्द देने का काम अपेक्षाकृत जटिल होता है।
546 ## - LANGUAGE NOTE
Language note Hindi.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term संस्कृति और सभ्यता.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term परंपरा और आधुनिकता.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सांस्कृतिक पहचान.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सामाजिक परिवर्तन.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सांस्कृतिक मूल्य.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सांस्कृतिक विरासत.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term सांस्कृतिक संरक्षण.
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term वैश्वीकरण और संस्कृति.
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme
Koha item type Books
Holdings
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