000 -LEADER |
fixed length control field |
07973nam a2200157 4500 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
RG.0225 |
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME |
Personal name |
गुप्ता, पंकज |
Affiliation |
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, |
Place |
जयपुर |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
निर्माण क्षेत्र में संलगन महिला कामगारों की सामाजिक अर्थिक प्रस्थिति एव मानवाधिकार अवचेतना : |
Sub Title |
जयपुर संभाग के शहरी क्षेत्रो के विशेष संदर्भ में / |
Statement of responsibility, etc |
डॉ पंकज गुप्ता |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) |
Place of publication |
New Delhi : |
Name of publisher/Sponsor |
Indian Council of Social Science Research, |
Year of publication |
2013- 2015 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Number of Pages |
v, 163p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. |
Summary, etc |
शोध में विषय प्रस्थापना के सैद्धान्तिक विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि वैश्वीकृत अर्थव्यवस्थाओं के दौर में निर्माण उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य प्रस्तुत भागों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु एक सेतुबंध है। निर्माण क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान पिछले एक दशक से 8 प्रतिशत रहा। है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की संवृद्धि एवं विकास में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है। निर्माण क्षेत्र से अंतर्संबंधित सहायक उद्योगों यथा ईंट-भट्टे टाईल कारखाने, पत्थर उत्खनन उद्योग, रेत निष्कर्षण ने मट्टे को संयुक्त करने पर इसका मूल्य और भी बढ़ जाता है। वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में संरचनात्मक समायोजन की अनिवार्य शर्त के रूप में व्यापक पैमाने पर आधारभूत संरचनाओं के निर्माण कार्यों ने निर्माण क्षेत्र को सर्वाधिक रोजगार प्रदाता क्षेत्र बना दिया है। भारत में लगभग 44 करोड़ व्यक्ति निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों में संलग्न है जो असंगठित क्षेत्र में कृषि के पश्चात सर्वाधिक संख्या है।<br/>शोध में किये गये सैद्धान्तिक विवेचन से उजागर होता है कि विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय घोषणाओं, प्रसंविदाओं एवं अभिसमयों द्वारा महिला कामगारों को प्रदत्त मानवाधिकारों की भारत में उपलब्धता हेतु विभिन्न संवैधानिक उपबंधों एवं अधिनियमों की संरचना की गई लेकिन अशिक्षा, जागरूकता में कमी, श्रम अधिनियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के अभाव के कारण उनकी पहुंच सीमित है। परिणामतः महिला कामगारों को कार्य स्थल पर असुरक्षित दशाओं व लैंगिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। पुरुष कामगार से अधिक कार्य करने पर भी उन्हें वेतन कम प्राप्त हो रहा है। इस सन्दर्भ में निर्माण में क्षेत्र में कार्यरत कामगारों हेतु भवन व अन्य निर्माण कामगार (विनियमन • रोजगार की शर्त), 1996 अधिनियम उनकी सेवा दशाओं के विनियमन एवं उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कल्याण हेतु उपाय करने के लिए लागू किया गया है किन्तु व नौकरशाही की मंथर गति व प्रचार-प्रसार के अभाव में पंजीयन ना करवाने की स्थिति में मंडल के सामाजिक सुरक्षा के लाभों का संवितरण महिला निर्माण कामगारों तक नहीं पहुँच रहा है। समग्रतः महिला कामगारों की दशा शोचनीय है। उपर्युक्त सैद्धान्तिक विवेचन से स्पष्ट होता है कि शोध परिकल्पना-3 पूर्णतः सही है।<br/>अनुभवमूलक अध्ययन द्वारा महिला निर्माण कामगारों से कार्य से संबंधित किये गये। प्रश्नों द्वारा उनकी कार्य शर्तों के बारे में किये गये विश्लेषण से स्पष्ट है कि निर्माण क्षेत्र में संलग्न महिला कामगारों के कार्य की प्रकृति अस्थायी है जिसके कारण उन्हें लगातार काम की तलाश करनी पडती है। काफी प्रयासों के उपरांत भी माह में कुछ दिन उन्हें बेरोजगार भी रहना पडता है। परिणामतः महिला कामगारों की कार्य की आवश्यकता की मजबूरी के कारण नियोक्ता उन्हें बिना किसी कानूनी समझौते के, बिना सेवा की शर्तें निर्धारित किये काम पर लगा लेते हैं तथा कामगार महिलाएं कार्य से निकाल दिये जाने के भय से कम मजदूरी में यहाँ तक कि कई बार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम द्वारा निर्धारित मजदूरी से भी कम दर पर कार्य करने के लिए विवश हो जाती हैं। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
Citizen participation |
Geographic subdivision |
India |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
Women |
Geographic subdivision |
India |
General subdivision |
Working class women |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical Term |
Social reformers |
Geographic subdivision |
India |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
|
Koha item type |
Research Reports |