उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे कृषि श्रमिकों का योगदान- एक विश्लेषणत्मक अध्ययन / (Record no. 37062)

000 -LEADER
fixed length control field 09819nam a2200157 4500
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number RK.0318
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name खान, डॉ मंजूर अहमद
Affiliation श्री वाष्णेय महाविद्यालय, अलीगढ़
Place अलीगढ़
245 ## - TITLE STATEMENT
Title उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे कृषि श्रमिकों का योगदान- एक विश्लेषणत्मक अध्ययन /
Statement of responsibility, etc डॉ मंजूर अहमद खान
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication New Delhi :
Name of publisher/Sponsor Indian Council of Social Science Research,
Year of publication 2015.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 291P.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc उत्तर प्रदेश में कृषि को प्राचीन काल से प्रधानता प्रदान की जाती रही हे। कृषि श्रमिकों का प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है कृषि के विकास से ही उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधर संभव हे। यंत्रीकरण के पश्चात भी अधिकांश कृषि आज भी श्रमिकों पर निर्भर है। सरकार द्वारा समय- समय पर विभिन्‍न कृषि श्रमिकों के आर्थिक कल्याण हेतु योजनाएँ बनाकर उन्हें लागू किया गया है। पंचवर्षीय योजना को क्रियान्वित करके उनके माध्यम से कृषि श्रमिक कल्याण का प्रयास सरकार द्वारा किया गया। योजनाएंबनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में बहुत समय लगता है जिसके परिणामस्वरूप कुछ योजनाएं कम समय होने के कारण समाप्त हो जाती है और कुछ योजनाएँ ग्रामीण अंचलों में प्रसार-प्रचार की कमी के कारण कृषि श्रमिकों तक नहीं पहुँच पाती है, शेष योजनाओं में राजनीतिक दबाव एवं बिचौलियों के कारण लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पाता है। संख्यात्मक दृष्टि से देखा जाए तो भूमि सुधारों के की उपरान्त बची हुई जमीन के आवंटन के संकल्प को सरकार ने जिस रूप में लिया है उससे भी उनका कोई भला नहीं हो सका है क्‍योंकि कृषि श्रमिकों में साक्षरता की कमी और कृषि योग्य भूमि का अभाव होने के कारण इनकी संख्या घटने की अपेक्षा दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. जिसके परिणामस्वरूप कृषि मजदूर पिछड़ी एवं दयनीय स्थिति में ही बना रहता है और उसका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर गिरता जाता है। प्रदेश में अन्धविश्वास एवं रीति-रिवाजों को प्राथमिकता दी जाती है, जिसके अन्तर्गत त्यौहार एवं धार्मिक, आयोजनों में कृषि श्रमिक किया जाता है, जिसके लिए मजदूरों द्वारा साहूकार से अधिक ब्याज पर ऋण लिया जाता है जिससे मजदूर आर्थिक दबाव में चला जाता है। इसके लिए सामाजिक कुरीतियों एवं अंधविश्वासो को दूर करने का प्रयास श्रमिक ज<br/>कल्याण समितियों द्वारा किया जाना चाहिए। भारतीय कृषि सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था कीकिस्मत का निर्धारण करती है, यह दो तिहाई व्यक्तियों के लिए जीविकोपार्जन का साधन ही नहीं बल्कि जीवन का तरीका भी है। यदि भारत की की आत्मा गाँवमें निवास करती है।तो गांव की आत्मा कृषि में निवास करती हे। कृषि सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को प्राण देती हे। खेतिहर श्रमिकों को व्याख्या समय-समय पर परिवर्तन के साथ बदलती रही हे। सवतंत्रता के समय जब से खेतीहर मजदूरों की समस्या के निराकरण के प्रयास किये गये हे , तभी से कृषि श्रमिकों के लिये नियुक्त की गयी कृषि जाँचसमितियों के अंतर्गत कृषि श्रमिकों को परिभाषित करने के प्रयास किये गये हैं। <br/>जनपद इटावा एवं बुलन्दशहरके ग्रामों का अध्ययन करके महत्वपूर्ण निष्कर्षो का उल्लेख किया गया इनमे कृषि श्रमिकों की समस्याये , आर्थिक व् सामाजिक जीवन का विश्लेषणात्मकविवेचन सम्मिलित है। इन सभी के साथ अन्त में कृषि श्रमिकों पर सुझाव देना भी युक्ति संगत होगा जो निम्नलिखित है -<br/>1.कृषि श्रमिकों की दशा सुधारने के लिये अन्य उद्योगों की भाँति उनकी भी<br/> न्यूनतम मजदूरी को निर्धारित करना चाहिए तथा न्यूनतम मजदूरी के लिये समय-समय पर उपाय किये जाने चाहिये। कुछ कृषि श्रमिकों की आय अत्याधिक अपर्याप्त है जिससे श्रमिक के परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता है, उनकी आय में वृद्धि के उचित प्रयास किये जाने चाहिए।<br/> 2. कृषि श्रमिकों के काम करने के घण्टे निश्चित होना अति आवश्यक है। जिस प्रकार औद्योगिक श्रमिकों के कार्य करने के घण्टे निश्चित हैं उसी प्रकार कृषिश्रमिकों के भी कार्य करने के घण्टे निर्धारित करने चाहिए।<br/>3. कृषि श्रमिकों की सहायक आय के साधनों की स्थापना करने के लिए कृषि सहायक धन्धों के विकास को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।<br/>4.कृषि श्रमिकों की दासता को समाप्त करके इनके लिये आवासों का निर्माण प्रभावी रूप से होना चाहिए तथा जो इसके लिये वरीयता रखते हों उन्हीं कृषि श्रमिकों या श्रमिकों को आवंटित करना चाहिये।<br/>5. ब्लॉक तथा पंचायतों की सुविधायें अपर्याप्त हैं अतः इनकी सुविधाओं को कृषि श्रमिकों के लिये सुलभ बनाना चाहिये। इन सुविधाओं के अनतर्गत खाद बीज एवं अन्य कृषि सामिग्री को समय से वितरित करना चाहिए <br/>
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Economic growth
Geographic subdivision India
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Rural development
Geographic subdivision India
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Agriculture
Geographic subdivision India
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme
Koha item type Research Reports
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Collection code Permanent Location Current Location Date acquired Source of acquisition Full call number Accession Number Price effective from Koha item type
      Not For Loan Post Doctoral Research Fellowship Reports NASSDOC Library NASSDOC Library 2022-07-25 Gifted by: RP Division ICSSR RK.0318 52306 2022-07-25 Research Reports