कुशवाहा, जिमी सिंह सिंह, उमेश कुमार जैन, हरिहन्त

जनजातियों में शिक्षा की स्थिति Janjatiyon mein siksha ki istithi - नई दिल्ली एस एस डी एन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, 2016 - vii, 195p.

includes appendix

तशिा दकसी भी सभ्य समाज की मूलभूत आवश्यकता है। तशिा समाज के तवकास, आर्थभक उन्नतत और सतवभौतमक सम्मान के तलए एक आवश्यक घिक है। हर नागटरक का यह मौतलक आतधकार होना चातहए दक उसे जीने के अतधकार केरूप में तशिा का अतधकार भी हातसल हो। यूनस्को की तशिा के तलए वैतश्वक मॉतनिररंग टरपोिभ २०१० के अनुसार , लगभग १३५ िेशों ने अपने संतवधान में तशिा को अतनवायभ कर दिया है। तथा मुफ्त एवं बह भेिभाव/ रतहत तशिा सबको िेने का प्रावधान दकया है। भारत में सन १९५० में१४ वषभ तक के बच्चों को मु़ित तथा अतनवायभ तशिा िेने के तलए संतवधान प्रततबिता का प्रावधान दकया था। इसेअनुच्िेि ४५ के तहत राज्य के नीतततनिेशक तसद्ांतों में शातमल दकया गया है। दक इससे तवद्यालय िोड़ने तथा तवद्यालय जानेवाले बच्चो को अच्िी गुणवन्ता की तशिा प्रतशतित तशिकों के माध्यम सेिी जा सकेग


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9789383575909


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